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allergy -एलर्जी

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एलर्जी है  क्या ?   मौसम में बदलाव के साथ साथ धूल भरी तेज हवा चलती है ा खेतो में फसल की कटाई के समय कई पेड़ पोधो के परागण हवा के झोकों के साथ इधर उधर उड़ रहे है ा ऐसे में बदलते मौसम के साथ एलर्जी का आगमन होता हैा एलर्जी अपने वातावरण/ पर्यावरण के प्रति मनुष्य शरीर की सवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है साधारण भाषा में कह सकते है की शरीर द्वारा किसी प्रदार्थ को नापसंद करने की  एलर्जी कहते है ा अतः मौसम परिवर्तन के कारण एलर्जी से उत्पन कई तरह के रोग जिसमे जुकाम ,श्वास, खांसी एवं अस्थमा आदि है ा क्यों होती है  एलर्जी एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसके जींस एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चले जाते हैा एलर्जी जन्म के साथ ही व्यक्ति में होती है, किन्तु यह निष्क्रिय से सक्रीय हो जाती है एवं विभिन्न लक्षणों के साथ प्रकट होती है ा मनुष्य के शरीर में रोगो का प्रतिरोध करने वाली जो नैसगरीक प्रकिया/ इम्यून सिस्टम है , उसके बिगड़ जाने से ही एलर्जी उत्त्पन होती है ा क्या होती है एलर्जन या कारक के शरीर में प्रवेश करते ही, एलर्जी के लक्षण शुरू हो जाते है ा...

Identification of the village made of trees -पेड़ बने गांव की पहचान.

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  पेड़ बने गांव की पहचान  पेड़  लगाओ - पेड़ बचाओ   बांस से बांसवाड़ा , खेर से खेरवाड़ा, सागवान से सागवाड़ा इस तरह के उदयपुर संभाग के करीब डेढ़ सौ से अधिक गांव, कस्बे और शहर पेड़ पोधो के नाम पर हैा यह गांव संभाग की पर्यावरण की विविधता के प्रति कितने सजक और समर्प्रित थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की उन्होंने गावो के नाम भी वृक्ष आधारित रखे जो आज  भी प्रचलन में है ा  के देवगढ़ तहसील में अम्बाखेड़ा , खाखरड़ा, नीमझर में क्रमश आम खाखरा व नीम के पेड़ अधिक होने से उनके यह नाम हुए तो राजसमंद में गूगलेरा में गूगल, पीपली में पीपल, नाथदवारा में कदमाल में कदम, सेमल में सेमली , मावली के आमली में इमली, बोर का कुआ में बेरी, गोगुन्दा में बड़गांव में बड़, बहेड़ा में बहेड़ी,खखड़ी में खखड़ा, वल्ल्भ्नगर में आकोला में आक ,आलू खेड़ा में आलू, सलारमल में सालू, धरियावद में शकरकंद में शकरकंद, सराड़ा के जामुंडा में जामुन, केवड़ा में केवड़ा गिरवा तहसील के थुर में थुर, करेला का गुड़ा में जंगली करेला, झाड़ोल के अदा हल्दू  में हल्दू , खजुरना में खजूर बहुतायत में होने से इन ग...

Wellcome to my tree house- मेरे ट्री हाउस में आपका स्वागत है

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यह घर मेरा दिल है  वेलकम टू द 'ट्री हाउस '                                                   विलासिता की चाह में लोग पेड़ो को काट कर आशियाना  खड़ा कर रहे है वही एक इंसान ऐसा भी है जिसने पेड़ को बचते हुए अपना आशियाना खड़ा किया। मन का शुकुन चाइये तो आप भी इस पेड़ वाले माकन की तरफ चले आइये।  जिला उदयपुर नेशनल हाइवे से सटी भुवाना के चित्रकूट नगर कॉलोनी में है यह मकान। कोई कहता है पेड़ पर मकान है तो कोई कहता है  मकान पर पेड़ ।  यह आपको अमरचित्र कथाओ की डायना , शेरा और उसके परिवार की पेड़ पर बनाई झोपडी का अहसास मिल जायेगा।  देखने भर में सुकून मिलता है तो इसमें रहने वालो का हर पल कितना रोमांच से भर उठता होगा।  यह खूबसूरत सा हरा भरा आशियाना है।  चित्रकूट नगर में पैसे से इंजीनियर के. पी. सिंह का।  के. पी. सिंह ने आधुनिक सुविधाओं से युक्त आलिशान मकान  बनाकर सबसे अचरज में कर डाला  90 साल पुराने आम क...