Identification of the village made of trees -पेड़ बने गांव की पहचान.

 

पेड़ बने गांव की पहचान 

पेड़  लगाओ - पेड़ बचाओ 
बांस से बांसवाड़ा , खेर से खेरवाड़ा, सागवान से सागवाड़ा इस तरह के उदयपुर संभाग के करीब डेढ़ सौ से अधिक गांव, कस्बे और शहर पेड़ पोधो के नाम पर हैा यह गांव संभाग की पर्यावरण की विविधता के प्रति कितने सजक और समर्प्रित थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की उन्होंने गावो के नाम भी वृक्ष आधारित रखे जो आज  भी प्रचलन में है ा 

के देवगढ़ तहसील में अम्बाखेड़ा , खाखरड़ा, नीमझर में क्रमश आम खाखरा व नीम के पेड़ अधिक होने से उनके यह नाम हुए तो राजसमंद में गूगलेरा में गूगल, पीपली में पीपल, नाथदवारा में कदमाल में कदम, सेमल में सेमली , मावली के आमली में इमली, बोर का कुआ में बेरी, गोगुन्दा में बड़गांव में बड़, बहेड़ा में बहेड़ी,खखड़ी में खखड़ा, वल्ल्भ्नगर में आकोला में आक ,आलू खेड़ा में आलू, सलारमल में सालू, धरियावद में शकरकंद में शकरकंद, सराड़ा के जामुंडा में जामुन, केवड़ा में केवड़ा गिरवा तहसील के थुर में थुर, करेला का गुड़ा में जंगली करेला, झाड़ोल के अदा हल्दू  में हल्दू , खजुरना में खजूर बहुतायत में होने से इन गावो के नाम भी पेड़ो के नाम पर ही प्रचलित हैा 

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